गाजियाबाद. बिजली कटौती ने शहरवासियों को बेहाल कर दिया
हैं। प्रदेश स्तर पर बिजली संकट ने गाजियाबाद में अघोषित कटौती का दायरा बढ़ा दिया
हैं। दिन में तीन बार इमरजेंसी कटौती की जा रही हैं। इसके अलावा ट्रांसमिशन से दो
से चार बार बिजली कटौती की जा रही हैं। जिससे शहर में कुल मिलाकर आठ से दस घंटे की
बिजली कटौती की जा रही हैं। जिससे शहर के लोगों को पानी की किल्लत भी झेलने पड़
रहे हैं। पावर कॉपोरेशन अधिकारियों का कहना हैं कि बिजली की मांग और आपूर्ति के
बीच अंतर गहराने के कारण समस्या बढ़ी हैं।
नरौरा में बिजली उत्पादन में कमी और हरदुआगंज में आए संकट
के कारण प्रदेश स्तर पर बिजली की समस्या दिखाई दे रही हैं। गर्मी आने से बिजली की
मांग मांग में बढ़ोतरी हुई हैं। पावर कॉपोरेशन की माने तो गाजियाबाद में 1000
मेगावाट की बिजली की मांग हो गई हैं। आपूर्ति घटकर 750 से 800 मेगावाट के बीच गई
हैं। मांग व आपूर्ति में इतना अंतर होने के कारण लोगों को बिजली किल्लत का समाना
करना पड़ रहा हैं। कॉरपोरेशन को 24 घंटे में 10 घंटे की कटौती करना पड़ रही हैं।
पिछले 3 दिनों में सुबह 9 से 11 दोपहर एक से तीन और रात में 10 से 12 बीच के बीच
इमरजेंसी बिजली कटौती की जा रही हैं। मुरादनगर में 220 केवी सब-स्टेशन की पावर
लोडिंग के कारण भी कटौती की समस्या आ रही हैं। पावर कृपोरेशन के अधीक्षण अभियंता
ट्रांसमिशन एसपी राम का कहना है कि बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतरप कम
होने पर ही बिजली कटौती में कमी आएगी।
विपुल समाजदारॉ
ट्रेन की चपेट में आने से दो लोगों की मौत
शनिवार को लिंक रोड
थाना क्षेत्र के महाराजपुर ट्रैक व कड़कड़ मॉडल गांव के निकट एक व्यकित और एक युवक
ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई हैं। दोनों की शिलाख्त नही हो सकी हैं। पुलिस
का कहना हैं कि सफऱ के दौरान गिरने से दोनों की मौत हुई हैं। पुलिस ने दोनों शवों
को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दोनो की पहचान अभी नही हो पाई हैं। युवक की
उम्र 22 वर्ष बताया जा रहा हैं। जबकि व्यकित की उम्र 4द से ऊपर हैं।
विपुल समाजदार
अंबेडकर जयंती
देश के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने
वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर की 14 अप्रैल को पूरे देश में उनका जयंती मनाया जा रहा
हैं। लेकिन शुरूआती जीवन में अंबेडकर, उनके बिचारों को मानने वाले बहुत कम व्यक्ति
थे। उनके मृत्यु के पश्चात उनके विचारों को मानने वाले लोगों की संख्या दिन
प्रतिदिन बढ़ी हैं। अंबेडकर के विचारों को विशेषता दलित तथा आदिवासी समाज ने सबसे
ज्यादा माना हैं। आज जो दलित तथा आदिवासी समाज के कुछ लोग समाज के ऊँचे पदों पर
कार्यरत हैं वह अंबेडकर के वदौलत ही सम्भव हो पाया हैं। लेकिन अंबेडकर ने सिर्फ
सरकारी क्षेत्र में ही इन लोगों के लिए काम कर पाए हैं। इसलिए आज भी प्राइवेट
सेक्टर में दलित तथा आदिवासी समाज के लोगों की संख्या निन्म मात्र हैं। शायद इसकी
वजह अब अंबेडकर को नही दे सकते क्योकि अंबेडकर के नाम से जो लोग अब राजनीति करते
हैं वो इसकी वजह सबसे ज्यादा हैं। अबेडकर ने दलितों और आदिवासी समाज के लोगों की
उत्थान ने जो आरक्षण नीति को अपनाया था उसको आज तमाम राजनीतिक पार्टी चुनावी दंगल
में तुर्क का पत्ता मानते हैं। इसमें सबसे ज्यादा जिस पार्टी ने फायदा उठाया वो
हैं बहुजन समाज पार्टी शुरूआत में यह पार्टी पंजाब, हरियाणा में अपने को स्थापित
कर पाया क्योकि अंहेडकर की जन्म पंजाब में हुआ था इसलिए उनके अनुयायी की संख्या
यहां सबसे ज्यादा थी। इन लोगों ने अंबेडकर विचारों को आगे बढ़ाया जिससे लोगों को
इस पार्टी की ओर समर्थन भी सबसे मिलने लगी थी। लेकिन जब कांशीराम के मार्गदरर्शन
में मायावती ने इसका बागडोर सम्हाला तो यह पार्टी सिर्फ उत्तरप्रदेश के राजनीति
में अहम पार्टी बनकर रह गयी। शायद यही पर लोगों का विश्वास इस पार्टी के साथ खत्म
हो गया। आज अंबेडकर हमारे बीच नही हैं लेकिन उनके नाम से राजनीति करने वाले तमाम
पार्टी मौजूद हैं। वह सिर्फ अबेडकर जयंती के दिन उनको याद करते है। लेकिन हमें एक
ऐसे समाज के निर्माण में अग्रसर होना चाहिए जो उनके विचारों पर चलने वाले इन
राजनातिज्ञ पार्टी जो स्वार्थ के अधीन में आकर नही कर सकी।
विपुल समाजदार