चीन से सीमा विवाद पर कांग्रेस किस तरह अलग-थलग पड़ गई है, इसकी पुष्टि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के इस बयान से मिलती है, जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। जाहिर है राजनीति से उनका आशय सस्ती राजनीति से है, जो कि कांग्रेस कर रही है। शरद पवार ने बिना किसी लाग-लपेट कांग्रेस को 1962 की भी याद दिलाई, जब चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया था।
क्या यह हैरत की बात नहीं कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते समय इस भू-भाग को हासिल करने की कोई कोशिश करने के बजाय चीन से चंदा लेना जरूरी समझा? हाल के दिनों में यह दूसरी बार है, जब शरद पवार ने कांग्रेस और खासतौर पर राहुल गांधी को झिड़का है। इसके पहले सर्वदलीय बैठक में भी उन्होंने उन्हेंं नसीहत दी थी। हालांकि खुद कांग्रेस के नेता भी राहुल गांधी के रवैये से सहमत नहीं, लेकिन शायद वह अपनी गलती समझने को तैयार नहीं। वह जिस तरह यह साबित करने पर आमादा है कि चीन ने हमारी जमीन हथिया ली है और प्रधानमंत्री ने उसके समक्ष समर्पण कर दिया है, उससे यह जानना कठिन है कि वह किसके हितों की चिंता करने में लगे हुए हैं?