Saturday, 15 June 2013

राजनीति के पत्ते
कौन जाने क्या हैं राजनीति..
लेकिन मजेदार हैं राजनीति..
गलियों में भाषण दिए,
बन गये पार्षद,,
फिर मौका मिला तो बन गये सांसद
पहुंचे दिल्ली उड़ाते जनता के खिल्ली
तोड़े जनता के सारे वादे
अब तो नेता कहे चलों दिल्ली
राजनीति की हैं यही पहचान।
उड़ान खटोला पर बैठकर करे राजनीतिक मुलाकात
कैसे बनाए पार्टी में अपनी धाक
कैसे मिले पार्टी अध्यक्ष पद...
करते जुगाड़ सब अब।
छेड़ो साम्प्रदायिक आग,
समाज में फैलाओं कलह का आग।
क्या यही हैं लोकतन्त्र की आइना।
देश के नाम से नेता करे अपना बचत योजना।
यह वों कहे जिसके मन में अभी भी हैं
पीएम बनने की सपना।
कौन जाने कैसे चल रहा लोकतन्त्र।
 जो पीएम पद पर हैं विराजमान
वो तो हैं बस एक धूत।
फैसला कोई ओर करे
इनकी तो बस हैं रिमोट कंट्रोल।
यह तो हैं लोकतन्त्र की पहचान,
अब देश को चाहिए एक कठोर पीएम
जो अपना फैसला खुद करे
ताकि हो देश का विकास
जिससे देश के लोग कहे
अब राजनीति नही हैं बेकार






Tuesday, 11 June 2013

जिन्दगी
लोगों ने कभी दिया नही,
मैनें कभी उनसे मांगा नही।
क्योकि बिना मांगगें यहां कुछ मिलता नही।
यह रीत चल पड़ा हैं अब।
समझे एक फ़कीर अब भी अब।
इसलिए दरवाजे पर आते करता बौछार आर्शीवाद।
लोग दुआओं से भी अब नही पिघलते,
जबसे अमीरी गरीबी की पड़ी हैं नींव।
फिर भी चला तू मांगने उन लोगों के पास।
सुनने भी करते अनसुना तुझे।
समझे हैं एक फ़कीर तूझे।
तू रूक मत अब मांगने उनसे।
ये मुक्द्दर ये जिन्दगी ले अब।
धन्यवाद