Tuesday, 11 June 2013

जिन्दगी
लोगों ने कभी दिया नही,
मैनें कभी उनसे मांगा नही।
क्योकि बिना मांगगें यहां कुछ मिलता नही।
यह रीत चल पड़ा हैं अब।
समझे एक फ़कीर अब भी अब।
इसलिए दरवाजे पर आते करता बौछार आर्शीवाद।
लोग दुआओं से भी अब नही पिघलते,
जबसे अमीरी गरीबी की पड़ी हैं नींव।
फिर भी चला तू मांगने उन लोगों के पास।
सुनने भी करते अनसुना तुझे।
समझे हैं एक फ़कीर तूझे।
तू रूक मत अब मांगने उनसे।
ये मुक्द्दर ये जिन्दगी ले अब।
धन्यवाद



No comments:

Post a Comment