यूं ना मजाक बनाओं गरीबी का,खाने पीने का पता नही।
कहां सोये उसका पता नही।
क्या पहने उसका पता नही।
नौकरी देने की व्यवस्था नही।
खाने का थाली कहां,
उसका भी पता नही।
सरकार का कोई व्यवस्था नही।
भ्रष्टाचार है जहां चरम परज
जहां सरकार गिराये महंगाई का पहाड़
गरीबों के कंधों पर
गरीबों की थाली का हिसाब लगाये 5 रूपये से अधिक पर
कमाल करती है भारत की सरकार
जनता पर करती नये प्रयोग
कैसे उनको चूसा चाहे जीवन के पकडंडी पर।
कौन जीये और कौन मरे
कोई हिसाब नही
थाली के आंकड़े लगाते
बेशर्म सरकार समझ नही आता
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