Saturday, 4 January 2014

आप से खफा ‘हम’ कांग्रेस और भाजपा



दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार काबिज हो चुकी है। अब यह सवाल उठता है कि किसी जन आंदोलन के बाद बनी पार्टी की अचानक सरकार बन जाना किसी ने सोचा भी था या नही। कोई यह कल्पना भी नही कर सकता था कि आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाएगी। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के शासन-प्रणाली से सभी त्रस्त है। भाजपा को दिल्ली में सबसे ज्यादा सीट मिली फिर भी भाजपा सरकार नही बना पाई। भाजपा जिस जोड़-तोड़ की राजनीति से सरकार बनाने के लिए कई बार विभिन्न राज्यों में कोशिश कर चुके है। उसे दिल्ली में 33 सीट मिलने पर भी महस 4 सीटों के लिए यह क्यों कहना पड़ गया कि जोड़-तोड़ हमारी राजनीतिक सिध्दान्त नही है, तो फिर इतने सालों से कांग्रेस और भाजपा क्या करती हुई आई? क्या हम भूल गये है? कैमरे के सामने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को देखकर अपना सिध्दान्त न होने पर कितना भी जोर दें लेकिन दिल से भाजपा परेशान है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस चुनाव के समय आम आदमी पार्ती को ज्यादा महत्व नही दे रही थी । कांग्रेस का कहना था कि दिल्ली में जो विकास हुआ है जनता उसे देखकर वोट दें। लेकिन जनता महस सड़कों के विकास से क्या करेगी जनता को बिजली, पानी भी पर्याप्त जरूरत है। मैडम शीला को यह जरूरते कभी जनता के अनुरूप नजर ही नही आ रही थी। बिजली के दाम बढ़ाए गये कई इलाकों में पानी की आपूर्ति नही हो रही है। जनता को बाहर से पानी खरीदना पड़ता है। आम आदमी पार्टी ने इस परेशानियों को अपना एजेण्डा बनाया और कूब प्रचार किया उनकी सरकार आते ही 700 लीटर पानी मुफ्त पहुँचाएगें। बिजली के दामों में कटौती की जाएगी। जनता इसी भावना के साथ आम आदमी पार्टी को जीताया दूसरा वजह अरविंद केजरीवाल की निट क्लीन इमेंज और उनका भ्रष्ट्राचार विरोधी आन्दोलन में शामिल होने के कारण जनता ने इस परिवर्तन को वोट दिया है। खैर, जो भी हो यह सरकार चाहें कितने दिन भी चलें लेकिन केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनते तक राजनीति में जो बदलाव आया है। नेता जो जनता से सम्पर्क तक नही करते थे वो भी केजरीवाल के वजह से अपने घर पर जनता दरबार लगा रहे है ताकि चुनावी एजेण्डा तय किया जा सकें।        

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