पिछले कुछ दिनों से जिस तरह रेल डिब्बो में आग की खबर आ रही
है। उससे लगता है कि हम विश्व के तमाम देशों से रेल सुविधाओं से कुछ सीख नही रहे
है। उदारीकरण की दौर में भारत के कई विकासशील परियोजनाओं में निवेश बढ़ा और तकनीकी
सुविधाएं भारत में बढ़ा है। लेकिन भारत में सबसे ज्यादा व्यवहार करने वाला रेल
परिवहन लगता है उदारीकरण के दौर से वंचित
है। इसकी मुख्य वजह रेल के साथ राजनीति करना बताया जाता है। आजादी से अब तक जितने
भी रेलमन्त्री बने है सभी क्षेत्रीयता से घिरे रहे है। नये-नये रेलगाड़ियों की
घोषणा किया जाने लगा। लेकिन पट्टिरियों की संख्या बढाई नही गयी। जिससे ट्रेने विलम
से दौड़ना शुरू हो गया। एक ही रूट में कई ट्रेने होने से कई बार दुर्घटना की खबरे
आते रहते है। विश्व में इस समय रेल सर्विस में भारत को पछाड़ते हुए 250 किलोमीटर
की रफ्तार से ट्रेने चल रही है। इसके अलावा वहाँ यात्रियों कीसुरक्षा भी मुहिया
कराया जाता है। लेकिन लगता है भारत रेल
परिवहन में विश्व के परिप्रेक्ष्य में बहुत पिछड़ा हुआ है। रेलवे में जिस गति से हमको विकास करना चाहिए था हमने
विकास नही किया है। जिसके वजह से आज भारत में कई रेल गाडियाँ अपने तय समय से लेट चलती है। कई बार शिकायत आया है कि
रेल के डिब्बे बेहतर क्वालिटी के न होने से आग जल्दी पकड़ लेता है जिससे जान-माल
का नुकसान होता है। लेकिन राजनीति हावि होने के कारण कई सालों तक रेल किराया नही
बढ़ाया जाता जिससे रेलवे की सर्विस घटिया होता जा रहा है। यदि हम समय रहते नही
चेते तो विश्व में
भारतीय रेल हादसा रेल के नाम से जाना जाएगा। 
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