Wednesday, 21 May 2014

मोदी और केजरी वॉर



                  
इस लोकसभा चुनाव में कई नेता अपने भाषणों में एक - दूसरें को न जाने क्या-क्या बोलते हमने सुना। इनमें मोदी, सोनिया, राहुल, दिग्विजय, ममता, केजरीवाल, बेनीप्रसाद वर्मा, प्रियंका मुख्य रूप से याद किये जा सकते है। मोदी और राहुल का वॉर तो टेलीविजन, अखबारों में खुब सुर्खियां बटौर रहे थे। लेकिन एक वॉर जो किसीने न गौर से देखा न समझने की कोशिश की। मोदी एक बार ही केजरीवाल के बारे में चुनावी भाषण में कुछ बोले थे जिसमें उन्होने केजरीवाल को एके 49 कहा था। लेकिन उसके बाद से मोदी ने एक भी शब्द खुलकर केजरीवाल के खिलाफ नही कहा। इसका मतलब मोदी समझ चुके थे कि अगर मैंने केजरीवाल को कुछ कहा तो केजरीवाल को मीडिया में सुर्खियां मिल जाएगी। जिस मीडिया ने केजरीवाल को आन्दोलनकारी से नेता बना दिया उसको द्वारा कवरेज मिलना शुरू हो जाएगा। मोदी यह कतई नही चाहते थे। जो मीडिया अब उनको के बारे में इतना अच्छा दिखा रहे है। उसको वह खराब नही करना चाहते थे।जिस परिवर्तन की बात केजरीवाल कर रहे थे मोदी ने उसको इतने आसानी से क्रेस कर लिया कि केजरीवाल समझ ही नही पाएं। केजरीवाल एक के बाद एक गलती करते चले गये पहले दिल्ली में उनको ऐसे राजनीतिक दबाब का सामना करना पड़ा कि उन्होने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तब से केजरीवाल मीडिया के आंखों में खटक गये। और मोदी युग का शुभारम्भ हो गया। दरअसल, गुजरात में भी मोदी ने कई बड़े नेताओं की नेतागिरी इसी तर्ज पर खत्म कर दी थी। केजरीवाल को उन्होने ज्यादा कुछ नही कहा लेकिन उनके कार्यकर्ताओं ने जिसतरह सोशल मीडिया मोदी का प्रचार किया और केजरीवाल के कार्यकर्ताओं को जबाब दिया। उनके राजनीतिक परिवर्तन वाले कुछ बिन्दुओं को अपना लिया उससे जनता को भाजपा में परिवर्तन दिखा। बाकी का काम कांग्रेस के दस साल ने पहले ही कर दिया था। जनता, मंहगाई, भ्रष्ट्राचार से पहले ही परेशान थी उसे आम आदमी पार्टी और भाजपा में से चुनाव करना था। जनता ने भाजपा में विश्वास ज्यादा दिखाया। यद्यपि मोदी का अनगिनत रैली भी उसका कारण हो सकता है। क्योकि लोकतन्त्र की खासियत जनता से संपर्क का होता है। जो कांग्रेस अपने दस साल के कार्यकाल में नही कर सकी। लेकिन मोदी ने मौण रूप से केजरीवाल को जो हार का स्वाद चखाया वों वाकई लाजबाब है।      

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