जी हां मौजूदा सच्चाई से हम सभी बाकिफ हैं। लेकिन शायद हम
यह मानने को तैयार नही हैं। दिल्ली में हुए गैंगरेप ने तो सबको जागाने का
प्रेरणास्त्रोत बना। लेकिन हम सभी जानते हैं कि महिलाए न घरों में सुरक्षित हैं और
न ही सड़कों पर इसके लिए जिम्मेदार भी हम सभी हैं। न जाने कितने रेप घर के
रिशतेदार द्धारा लड़कियों के साथ किया जाता हैं। लेकिन यह रेप केस घरों के
चारदीवारी में सिमट कर रह जाती हैं। लड़कियां लोग लज्जा के कारण अपनी पीड़ा को
बताने में हिचकती हैं। शायद यही हमारी सभ्य समाज की नंगा तमासा हैं। हम तो इस
पीडिता के साथ हुए बर्बर हिंसा कर रहे हैं। और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले
इसकी भी मांग कर रहे हैं। लेकिन उस लड़की को और देश के तमाम रेप के पीड़िता लड़की
को अगर सच्ची श्रृध्दांजलि देनी है हमे अपनी मानसिकता पर संयम रखना भी सीखना होगा।
तभी देश में हो रहे लड़कियों के साथ अत्यचार पर काबू पाया जा सकेगा।
विपुल समाजदार
नन्द्रग्राम,गाजियाबाद
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