Wednesday, 1 July 2020

अनलॉक 2.0 की औपचारिक शुरूआत


आज से देश में अनलॉक 2.0 की औपचारिक शुरूआत हो गई। गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस में नजर दौड़ाते है तो देखने को मिलता है कि केन्द्र सरकार राज्य सरकार को अधिक जिम्मेदारी के साथ अनलॉक 2.0 को सफल बनाने में जोर दे रही है। उधर कोराना के मामले भी अपने रफ्तार पर है।

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इसी स्थिति को देखते हुए सरकार ने गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना नवम्बर तक करने जा रही है, जिससे गरीबों को काफी भला होगा। केन्द्र के इस योजना के घोषणा से एक बात स्पष्ट हो गई है कि, कोराना को लेकर किसी प्रकार की राहत की खबर साल के खत्म होने तक उम्मीद किया जा सकता है । क्योकि कोराना के वैंक्सीन के लिए विश्व के बड़े देशों के साथ – साथ भारत में भी ह्रयूमन ट्राइल की अनुमति सरकार दे चुकी है। इसलिए साल के अन्त तक वैंक्सीन बनने के उम्मीद की जा रही है।

 

 

 

 

 


Saturday, 27 June 2020

चीन से सीमा विवाद पर अलग-थलग पड़ी कांग्रेस


चीन से सीमा विवाद पर कांग्रेस किस तरह अलग-थलग पड़ गई है, इसकी पुष्टि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के इस बयान से मिलती है, जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। जाहिर है राजनीति से उनका आशय सस्ती राजनीति से है, जो कि कांग्रेस कर रही है। शरद पवार ने बिना किसी लाग-लपेट कांग्रेस को 1962 की भी याद दिलाई, जब चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया था।

क्या यह हैरत की बात नहीं कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते समय इस भू-भाग को हासिल करने की कोई कोशिश करने के बजाय चीन से चंदा लेना जरूरी समझा? हाल के दिनों में यह दूसरी बार है, जब शरद पवार ने कांग्रेस और खासतौर पर राहुल गांधी को झिड़का है। इसके पहले सर्वदलीय बैठक में भी उन्होंने उन्हेंं नसीहत दी थी। हालांकि खुद कांग्रेस के नेता भी राहुल गांधी के रवैये से सहमत नहीं, लेकिन शायद वह अपनी गलती समझने को तैयार नहीं। वह जिस तरह यह साबित करने पर आमादा है कि चीन ने हमारी जमीन हथिया ली है और प्रधानमंत्री ने उसके समक्ष समर्पण कर दिया है, उससे यह जानना कठिन है कि वह किसके हितों की चिंता करने में लगे हुए हैं?

Saturday, 3 June 2017

क्रिकेट का बाजारवाद

इंडिया में क्रिकेट जितना फैंमस गेम है, ठीक उतना ही हमारा क्रिकेट बोर्ड अपने हाल के बदनामी के चलते विश्व बाजार में चर्चा में है। इससे हमारे देश के नाम पर पता नही कितना असर पड़ रहा है, इस विषय पर डिबेट हो सकता है। लेकिन इंडिया ने क्रिकेट में अपने पैसे के रूतबे के कारण बाकी देशों के बोर्डे पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है, कि क्या वह भी पैसे कमाने के आड़ में खेल भावना का सम्मान करना भूल जाए ?  हाल के परिस्थिति को देखकर यही लगता है कि विश्व के क्रिकेट बोर्डे में सिर्फ चार देश ही राज कर रहे है। जिसमें इंडिया प्रथम स्थान पर है,  बाकी देश सिर्फ पिछलग्गू साबित होते दिख रहे है। सवाल इसी बात पर है कि अगर खेल का बाजारवाद से खिलाड़ियों का घर चलेगा तो इसमें इतना धूमा फेरा कर दिखाने की क्या जरूरत है। खिलाड़ी के साथ-साथ बोर्ड भी पैसा कमानी चाहती है। खिलाड़ी तभी नेशनल टीम में अच्छा प्रदर्शन देने के बजाय लीग मैच खेल कर घर चला रहे है। वही बोर्ड भी पैसा कमा रही है। इसलिए आज लगभग तमाम बोर्ड लीग मैचों का आयोजन करवा रही है। मौजूदा टीम वेस्ट इंडीज के चैपियनस ट्रॉफी से बाहार हो जाना इसी बात की ओर इशारा करती है। दुनिया जानती है कि वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी हरफनमोला है लेकिन जब ऐसे टीम जिसने हांल में ही टी-20 विश्वकप जीती हो, चैपियनस ट्रॉफी में अपना स्थान नही बना पाए तो सारे खेल भावना खत्म हो जाती है। इस परिस्थिति के लिए अकेले वेस्ट इंडीज बोर्ड जिम्मेदार नही हो सकती है। विश्व क्रिकेट के जानकर कहते है कि खिलाड़ियों के अन्दर के पैसे का भूख ज्यादा है क्योकि इनको ये लगता है कि बोर्ड उनसे मैचे खिलवा कर अपना पैसा बना रही है, और उनको कम पे रोल अदा कर रही है। इसलिए बोर्ड के मैच से हटकर खिलाड़ी लीग मैच खेल रहे है। ये सीधा- सीधा हितो का टकराव है, नाकि खेल भावना ओर देश हित की।           

Wednesday, 21 May 2014

मोदी और केजरी वॉर



                  
इस लोकसभा चुनाव में कई नेता अपने भाषणों में एक - दूसरें को न जाने क्या-क्या बोलते हमने सुना। इनमें मोदी, सोनिया, राहुल, दिग्विजय, ममता, केजरीवाल, बेनीप्रसाद वर्मा, प्रियंका मुख्य रूप से याद किये जा सकते है। मोदी और राहुल का वॉर तो टेलीविजन, अखबारों में खुब सुर्खियां बटौर रहे थे। लेकिन एक वॉर जो किसीने न गौर से देखा न समझने की कोशिश की। मोदी एक बार ही केजरीवाल के बारे में चुनावी भाषण में कुछ बोले थे जिसमें उन्होने केजरीवाल को एके 49 कहा था। लेकिन उसके बाद से मोदी ने एक भी शब्द खुलकर केजरीवाल के खिलाफ नही कहा। इसका मतलब मोदी समझ चुके थे कि अगर मैंने केजरीवाल को कुछ कहा तो केजरीवाल को मीडिया में सुर्खियां मिल जाएगी। जिस मीडिया ने केजरीवाल को आन्दोलनकारी से नेता बना दिया उसको द्वारा कवरेज मिलना शुरू हो जाएगा। मोदी यह कतई नही चाहते थे। जो मीडिया अब उनको के बारे में इतना अच्छा दिखा रहे है। उसको वह खराब नही करना चाहते थे।जिस परिवर्तन की बात केजरीवाल कर रहे थे मोदी ने उसको इतने आसानी से क्रेस कर लिया कि केजरीवाल समझ ही नही पाएं। केजरीवाल एक के बाद एक गलती करते चले गये पहले दिल्ली में उनको ऐसे राजनीतिक दबाब का सामना करना पड़ा कि उन्होने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तब से केजरीवाल मीडिया के आंखों में खटक गये। और मोदी युग का शुभारम्भ हो गया। दरअसल, गुजरात में भी मोदी ने कई बड़े नेताओं की नेतागिरी इसी तर्ज पर खत्म कर दी थी। केजरीवाल को उन्होने ज्यादा कुछ नही कहा लेकिन उनके कार्यकर्ताओं ने जिसतरह सोशल मीडिया मोदी का प्रचार किया और केजरीवाल के कार्यकर्ताओं को जबाब दिया। उनके राजनीतिक परिवर्तन वाले कुछ बिन्दुओं को अपना लिया उससे जनता को भाजपा में परिवर्तन दिखा। बाकी का काम कांग्रेस के दस साल ने पहले ही कर दिया था। जनता, मंहगाई, भ्रष्ट्राचार से पहले ही परेशान थी उसे आम आदमी पार्टी और भाजपा में से चुनाव करना था। जनता ने भाजपा में विश्वास ज्यादा दिखाया। यद्यपि मोदी का अनगिनत रैली भी उसका कारण हो सकता है। क्योकि लोकतन्त्र की खासियत जनता से संपर्क का होता है। जो कांग्रेस अपने दस साल के कार्यकाल में नही कर सकी। लेकिन मोदी ने मौण रूप से केजरीवाल को जो हार का स्वाद चखाया वों वाकई लाजबाब है।      

Friday, 10 January 2014

भारतीय रेल हादसा रेल के नाम से जाना जाएगा।



पिछले कुछ दिनों से जिस तरह रेल डिब्बो में आग की खबर आ रही है। उससे लगता है कि हम विश्व के तमाम देशों से रेल सुविधाओं से कुछ सीख नही रहे है। उदारीकरण की दौर में भारत के कई विकासशील परियोजनाओं में निवेश बढ़ा और तकनीकी सुविधाएं भारत में बढ़ा है। लेकिन भारत में सबसे ज्यादा व्यवहार करने वाला रेल परिवहन लगता है  उदारीकरण के दौर से वंचित है। इसकी मुख्य वजह रेल के साथ राजनीति करना बताया जाता है। आजादी से अब तक जितने भी रेलमन्त्री बने है सभी क्षेत्रीयता से घिरे रहे है। नये-नये रेलगाड़ियों की घोषणा किया जाने लगा। लेकिन पट्टिरियों की संख्या बढाई नही गयी। जिससे ट्रेने विलम से दौड़ना शुरू हो गया। एक ही रूट में कई ट्रेने होने से कई बार दुर्घटना की खबरे आते रहते है। विश्व में इस समय रेल सर्विस में भारत को पछाड़ते हुए 250 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेने चल रही है। इसके अलावा वहाँ यात्रियों कीसुरक्षा भी मुहिया कराया जाता है।  लेकिन लगता है भारत रेल परिवहन में विश्व के परिप्रेक्ष्य में बहुत पिछड़ा हुआ है। रेलवे  में जिस गति से हमको विकास करना चाहिए था हमने विकास नही किया है। जिसके वजह से आज भारत में कई रेल गाडियाँ अपने  तय समय से लेट चलती है। कई बार शिकायत आया है कि रेल के डिब्बे बेहतर क्वालिटी के न होने से आग जल्दी पकड़ लेता है जिससे जान-माल का नुकसान होता है। लेकिन राजनीति हावि होने के कारण कई सालों तक रेल किराया नही बढ़ाया जाता जिससे रेलवे की सर्विस घटिया होता जा रहा है। यदि हम समय रहते नही चेते तो विश्व में
भारतीय रेल हादसा रेल के नाम से जाना जाएगा।

Saturday, 4 January 2014

आप से खफा ‘हम’ कांग्रेस और भाजपा



दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार काबिज हो चुकी है। अब यह सवाल उठता है कि किसी जन आंदोलन के बाद बनी पार्टी की अचानक सरकार बन जाना किसी ने सोचा भी था या नही। कोई यह कल्पना भी नही कर सकता था कि आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाएगी। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के शासन-प्रणाली से सभी त्रस्त है। भाजपा को दिल्ली में सबसे ज्यादा सीट मिली फिर भी भाजपा सरकार नही बना पाई। भाजपा जिस जोड़-तोड़ की राजनीति से सरकार बनाने के लिए कई बार विभिन्न राज्यों में कोशिश कर चुके है। उसे दिल्ली में 33 सीट मिलने पर भी महस 4 सीटों के लिए यह क्यों कहना पड़ गया कि जोड़-तोड़ हमारी राजनीतिक सिध्दान्त नही है, तो फिर इतने सालों से कांग्रेस और भाजपा क्या करती हुई आई? क्या हम भूल गये है? कैमरे के सामने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को देखकर अपना सिध्दान्त न होने पर कितना भी जोर दें लेकिन दिल से भाजपा परेशान है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस चुनाव के समय आम आदमी पार्ती को ज्यादा महत्व नही दे रही थी । कांग्रेस का कहना था कि दिल्ली में जो विकास हुआ है जनता उसे देखकर वोट दें। लेकिन जनता महस सड़कों के विकास से क्या करेगी जनता को बिजली, पानी भी पर्याप्त जरूरत है। मैडम शीला को यह जरूरते कभी जनता के अनुरूप नजर ही नही आ रही थी। बिजली के दाम बढ़ाए गये कई इलाकों में पानी की आपूर्ति नही हो रही है। जनता को बाहर से पानी खरीदना पड़ता है। आम आदमी पार्टी ने इस परेशानियों को अपना एजेण्डा बनाया और कूब प्रचार किया उनकी सरकार आते ही 700 लीटर पानी मुफ्त पहुँचाएगें। बिजली के दामों में कटौती की जाएगी। जनता इसी भावना के साथ आम आदमी पार्टी को जीताया दूसरा वजह अरविंद केजरीवाल की निट क्लीन इमेंज और उनका भ्रष्ट्राचार विरोधी आन्दोलन में शामिल होने के कारण जनता ने इस परिवर्तन को वोट दिया है। खैर, जो भी हो यह सरकार चाहें कितने दिन भी चलें लेकिन केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनते तक राजनीति में जो बदलाव आया है। नेता जो जनता से सम्पर्क तक नही करते थे वो भी केजरीवाल के वजह से अपने घर पर जनता दरबार लगा रहे है ताकि चुनावी एजेण्डा तय किया जा सकें।